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लातूर का प्राचीन इतिहास है। लातूर 753 से 973 ईसवी की अवधि में दक्कनी प्रांत का शासन करने वाले राष्ट्रकूट राजाओं का गढ़ था। प्रथम राष्ट्रकूट राजा दंतिदुर्ग लातूर से थे जो सम्भवतः लातूर का प्राचीन नाम था। रत्नपूर भी लातूर के ऐतिहासिक नाम के रुप में वर्णित किया गया है ।राजा अमोघवर्ष ने लातूर को विकसित किया जो राष्ट्रकूट का मूल स्थान माना जाता है । सदियों से शातवाहन, सका, चालुक्य, देवगिरि के यादव दिल्ली सुल्तान, दक्षिण भारत के बहामनी शासन, आदिलशाही एवं मुगल शासकों ने इस स्थान पर शासन किया ।
लातूर जिले की भूमि आमतौर गोमती नदी के आस-पास के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर समतल है। यह कृषि क्षेत्र है क्योकि कृषि लोगों का मुख्य व्यवसाय है । लातूर जिले में आर्द्र एवं शुष्क जलवायु है। लातूर में तीन अलग-अलग मौसमों यानि गर्मी, मानसून और सर्दी का प्रभाव रहता है। मार्च से मई तक गर्मियों के महीनों मे अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेलिसियस से 46 डिग्री सेलिसियस तक होता है। जिले का बरसात का मौसम जून से सितम्बर होता है, जुलाई के महीना में वर्ष का सबसे अधिक वर्षा होती है। नवम्बर से सर्दियों की शुरूआत होती है और दिन का तापमान लगभग 20 डिग्री सेलिसियस से नीचे रहता है जबकि रात का तापमान दिसंबर और जनवरी के दौरान 8 डिग्री सेलिसियस रहता है।
तद्दोपरांत 19वी शताब्दी में लातूर हैदराबाद रियासत का हिस्सा बना । 1905 में आसपास के इलाकों को शामिल कर लातूर तहसील बनाई गई जो उस्मानाबाद जिले का भाग था । 1948 से पूर्व लातूर निजाम सल्तनत हैदराबाद रियासत का हिस्सा बना । 1905 में आसपास के इलाकों को शामिल कर लातूर तहसील बनाई गई जो उस्मानाबाद जिले का भाग था । 1948 से पूर्व लातूर निजाम सल्तनत हैदराबाद का प्रांत था । निजाम की रजाकर सेना के प्रमुख कामिस रिज्वी, लातूर से थे । स्वतंत्रता के बाद हैदाराबाद रियासत के भारतीय संघ में विलय के उपरांत, उस्मानाबाद बाम्बे प्रांत का हिस्सा बना । 1960 में महाराष्ट्र राज्य के सृजन के साथ, उस्मानाबाद इसका एक जिला बना । 16 अगस्त 1982 को उस्मानाबाद जिले के एक हिस्से को अलग कर लातूर जिले का सृजन किया गया। 30 सितम्बर 1993 को लातूर में भयंकर भूकंप आया जिससे भारी मात्रा में जान-माल का नुकसान का नुकसान हुआ । रिक्टर स्केल पर भूकंप का माप 6.3 था जिससे लगभग 10,000 लोगों की जान गई एवं 30,000 लोग घायल हुए । जीर्ण मकान एवं गांवों में पत्थर से निर्मित झोपड़ियॉ जान-माल के नुकसान का प्रमुख कारण था । भूकंप तडके सुबह आया जब लोग गहरी निद्रा में थे । अतः लोग नींद मे ही मलबे में दब गए । भूकंप का केन्द्र जमीनी स्तर से लगभग 12 कि.मी गहरा था जिसके कारण उसकी तंरगो से अधिक नुकसान पहुँचा । चूंकि भूकंप त़डके सुबह 3.53 आया था । जब लोग गहरी निद्रा में थे, इसी कारण मरने वालो की संख्या अधिक थी । भूकंप के बाद क्षेत्रों को फिर से वर्गीकृत किया गया और पूरे भारत निर्माण कोड और मानको का निर्माण किया गया ।
रंगरुट प्रशिक्षण केन्द्र, केरिपुबल, लातूर बार्शी रोड, महादेव नगर लातूर महाराष्ट्र (413 531) में स्थित है। महाराष्ट्र औघोगिक विकास निगम परिसर, लातूर में 200 एकड़ जमीन महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रदान की गई है । यह मूल रुप से "राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल” डीएमटीसी (आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण केन्द्र) के लिए आबंटित की गई थी जो कि बाद में वर्ष 2007 में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल को सौंपा दी गई थी । जुन 2007 में 196 बटालियन केरिपुबल यहां स्थापित की गई और बटालियन मुख्यालय फरवरी 2010 तक यहॉ स्थित था । उसके बाद जुलाई 2010 से 216 बटालियन केरिपुबल यहां स्थापित की गई और बाद में जुन, 2011 से सहायक प्रशिक्षण केन्द्र (एसटीसी) यहां स्थापित की गई और बाद जुलाई 2012 में अतिरिक्त प्रशिक्षण केन्द्र (एटीसी) में बदल दिया गया । पुलिस महानिरीक्षक (प्रशिक्षण) महानिदेशालय, केरिपुबल के बेतार संख्या-टी-पॉच-12/2014-प्रशि-11 (न्यु रेजिंग) दिनांक 21/08/2014 के तहत दिनांक 01 सितम्बर, 2014 को रंगरुट प्रशिक्षण केन्द्र केरिपुबल लातुर की स्थापना की गई । यह संस्थान शुरु में पुलिस महानिरीक्षक, के.रि.पु.बल पश्चिमी क्षेत्र, केरिपुबल मुम्बई के प्रशासनिक में था और बाद में दिनांक 26/02/2016 से प्रशिक्षण महानिदेशालय, केरिपुबल नई दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत रखा गया था ।
रिक्रूट प्रशिक्षण केन्द्र लातूर, महाराष्ट्र औधोगिक विकास निगम क्षेत्र, बार्शि रोड महादेव नगर, पोस्ट – गंगापुर लातूर महाराष्ट्र (413531) में स्थित है ।
The निकटतम रेलवे स्टेशन लातुर है जो कि कैम्प से 13 किलोमीटर की दुरी पर है।
हवाई मार्गलातुर शहर के निकटतम एयरपोर्ट नांदेड़, मुम्बई, हैदराबाद और औरंगाबाद है ।
संस्थान में खेल और प्रशिक्षण के लिए अच्छी सुविधाएं है जिनमें परेड ग्राउंट, ड्रिल नर्सरी, विंग-वार प्रशिक्षण क्षेत्र, अबस्टेकल कोर्स, स्विमिंग पूल, कम्पयुटर लैब, टेनिस, टेबल टेनिस, बैडमिटन, फुटबॉल, हैंडबॉल, बास्केटबाल एवं मुक्केबाजी जैसी सुविधाएं है ।
लातुर महाराष्ट्र- कनार्टक राज्य सीमा के पास बालाघाट पठार पर समुद्र तल से 638 मीटर की उचाई पर स्थित है । यहॉ पास की मंजरा नदी पीने का पानी की आपूर्ती करती है । यह नदी 20वी. सदी के उत्तरार्ध और 21वीं सदी के शुरुवात में पर्यावरणीय गिरावट और सिंल्टिंग से ग्रस्त है । इसके परिणाम स्वरुप और जल प्रबंधन रणनिति के कार्यान्वयन की कमी के कारण 2010 में सूखे की स्थिति पैदा हौ गयी एवं शहर में पानी काफी किल्लत हुई ।
लातूर में वार्षिक तापमान 13 से 41 डिग्री सेल्सियस (55 से 106 डिग्री फारेनहाइट) तक रहता है । यह सर्दी के समय घूमने के लिए सबसे आरामदायक साय होता है जो फरवरी से अक्टूबर के बीच होता है । यह का दर्ज किया गया उच्चतम तापमान 45.60 डिग्री सेल्सियस (114.1 डिग्री फारेनहाईट) था । जबकि सबसे कम तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस (36 डिग्री फारेनहाइट) था । ठंड के मौसम में जिला कभी – कभी उत्तर भारत क्षेत्र से पश्चिम क्षेत्र में मौसम के आसामान्य होने पर पूर्ववर्ती मार्ग के साथ ठंडी तरंगो से प्रभावित होता है तब न्युनतम तापमान लगभग 2 से 4 डिग्री सेल्सियस (36 से 39 डिग्री फारेनहाइट) तक गिर जाता है ।
मानसून के मौसम में जून से सितम्बर तक ज्यादातर बारिश होती है । बारिश 9.0 से 639 मि.मी. प्रति माह औसतन होती है । औसत वार्षिक वर्षा 725 मिमी है ।
जिले में फैली कुछ छोटी पहाड़ियों के अलावा इस क्षेत्र की ज्यादातर जमीन समतल है ।
लातूर भारत में सोयाबीन का सबसे बड़ा व्यापार केन्द्र है । हरा-भरा शहर महाराष्ट्र की चीनी बेल्ट कहलाता है । जिले में ग्यारह से अधिक चीनी के मिल है, यह भारत के उच्चतम चीनी उत्पातक जिलों में से एक है । लातूर खाद्य तेल के बीज एवं फलों के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है । लातूर उच्च गुणवत्ता वाले अंगूर के लिए भी जाना जाता है और यह कई राज्यो और निजी स्वामित्व वाली ठंड भंडारण सुविधाओं का केन्द्र है । लातुर शहर से 18 किमी दुर औसा के पास 1.42 वर्ग किलोमीटर (350 एकड़) से अधिक क्षेत्र का अंगूर वाईन पार्क स्थापित किया गया है । इसके अतिरिक्त एमआईडीसी लातूर में 1.2 वर्ग कि.मी. (300 एकड़) में फैला एक नया लातूर फूड पार्क निर्माणाधीन है । लातूर दक्षिण भारत के लिए प्रमुख परिवहन जंक्शन है ।
आर.टी.सी. लातुर में एक समय में 1000 सिपाही/रंगरुटों को प्रशिक्षित करने की क्षमता है ।
Posted Gazetted Officers
क्र.स. | अधिकारी का नाम | पदनाम | इरला संख्या |
---|---|---|---|
पुलिस उप महानिरीक्षक / प्राचार्य | |||
श्री राजेश कुमार सिंह | कमाण्डेन्ट | 4010 | |
श्री हरी सिंह | उप कमाण्डेन्ट | 7126 | |
श्री रनबीर सिंह | उप कमाण्डेन्ट | 8078 | |
श्री प्रदीप कुमार घोष | सहायक कमाण्डेन्ट | 8265 | |
श्री गंभीर सिंह | सहायक कमाण्डेन्ट | 8861 | |
श्री के. वी. बालकृष्णा | सहायक कमाण्डेन्ट | 9165 | |
श्री मारुती बी. | सहायक कमाण्डेन्ट | 11718 | |
श्री चामे नारायण तुकाराम | सहायक कमाण्डेन्ट | 10884 | |
डॉ बी एस बानाते | चिकित्सा अधिकारी (संविदा के आधार पर) | 504321 | |
श्री ए राघवन | सहायक कमाण्डेन्ट (मंत्रा) | 11019 |
रंगरुट प्रशिक्षण केन्द्र, के.रि.पु.बल, महादेव नगर, पोस्ट ऑफिसः गंगापुर जिलाः लातुर (महाराष्ट्र) पिनः 413 531
दूरभाष नम्बर - 02382 – 267414 (नियंत्रण कक्ष/फैक्स)
pplrtcltr[at]crpf[dot]gov[dot]in, digprtclatur[at]gmail[dot]com
कोर्स प्रशिक्षण महानिदेशालय के निर्देशानुसार चलाए जाते है ।
44 सप्ताह
कोर्स का निर्धारण प्रशिक्षण महानिदेशालय द्वारा किया जाता है ।
लातुर शहर महाराष्ट्र कनार्टक सीमा के निकट बालाघाट पठार पर समुद्र तल से 636 मीटर की उँचाई पर स्थित है । यहॉ का तापमान 13 डिग्री से 41 डिग्री सेल्लियस के बीच है । मानसून के मौसम में जून से सितम्बर माह के दौरान 725 मीलीमीटर औसतन वर्षा दर्ज होती है । मार्च से जून महीने आम तौर पर लगभग 40 डिग्री सेल्सियस औसतन तापमान के साथ गर्म और शुष्क रहते है ।
रंगरुट प्रशिक्षण केन्द्र, लातुर का मुख्य उद्देश्य केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल एवं अन्य राज्य पुलिस विभागों के नव नियुक्त सिपाही/रंगरुटों को मूल प्रशिक्षण देना है ।
आर.टी.सी., लातुर का उद्देश्य सिपाहियों को शारीरिक फिटनेस, सहनशीलता, फायरिंग कौशल, जंगल क्रॉफ्ट, रणनिति और उच्च स्तर के मानसिक दृढ़ता के साथ व्यावसायिक ज्ञान देकर सिपाही कौशल के उच्च स्तर को विकसित कर गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान करना है ताकि वे प्रशिक्षण के उपरांत सभी मौसमों, सभी इलाकों और सभी परिचालनिक क्षेत्रों में सेवा करने में पूर्ण रुप से सक्षम हो ।
किट/क्लॉथिंग
पुलिस महानिरीक्षक (प्रशिक्षण), महानिदेशालय, केरिपुबल, नई दिल्ली के दिनांक 18/06/2012 के बेतार संख्याः टी.पांच/अनुदेश-प्रशि-11(किट) के तहत जारी निर्देशानुसार सभी रंगरुटों को निम्नलिखित किट/क्लॉथिंग आईटमों के साथ रिपोर्ट करना आवश्यक है
Sl no. | Nomenclature | a/u | Nos |
---|---|---|---|
Anklet web | prs | 2 | |
Kit bag | no | 1 | |
Beret cap blue | no | 1 | |
Belt waist web pat-37 | no | 1 | |
Blanket | no | 2 | |
Boot ankle black | no | 1 | |
Braces W.E. . PAT-37 RT/LT | set | 1 | |
Canvas P.T shoes (brown) | pair | 2 | |
Carrier water bottle W.E. pat-37 | no | 1 | |
Durries blue cotton | no | 1 | |
Frog bayonet W.E. pat-37 | no | 1 | |
Great coat | no | 1 | |
Haver sack W.E. pat-37 | no | 1 | |
Jersey woolen | no | 1 | |
Jungle hat (khaki) | no | 1 | |
Mosquito net | no | 1 | |
Pagree yellow 41/2 mtr (For Sikhs) | no | 1 | |
Pouches basic m-3 W.E. pat-37 | pair | 2 | |
Pagree khaki 5 mtr (For Sikhs) | no | 2 | |
Shirt khaki twill/cotton | no | 1 | |
Socks woolen grey | prs | 2 | |
Short k.d. | no | 2 | |
Singlet white | no | 3 | |
Steel trunk | no | 1 | |
Strap shoulder havar sack W.E. pat-37 | no | 1 | |
Towel hand | no | 3 | |
Trouser k.d | no | 2 | |
Water bottle | no | 1 | |
Terri cotton shirt khaki | no | 2 | |
Terri cotton trouser khaki | no | 2 | |
Dangri khaki | no | 1 | |
Steel mug | no | 1 | |
Steel plate | no | 1 | |
Shirt and pant white | no | 2 | |
Pagree mufti blue 5 mtr | no | 1 | |
Jungle boot | prs | 1 | |
Angola shirt | no | 2 |
मूल प्रशिक्षण के लिए रंगरुटों को भेजने से पहले संबंधित बटालियन/ग्रुप केन्द्र/ विभागों को नीचे दिए गए सभी प्रारंभिक दस्तावेजों को पूरा करना होगा
पुलिस उप महानिरीक्षक (आई.टी.) महानिदेशालय, केरिपुबल, नई दिल्ली के दिनांक 04/01/2011 के बेतार संख्याः सी.सात-01/2010-11-वेतन-1 के तहत जारी निर्देशानुसार रंगरुटों के वेतन एवं भत्तों का रख-रखाव संबंधित ग्रुप केन्द्र/ बटालियन / विभागों द्वारा किया जाएगा एवं सीधे उनके बैंक खाते में जमा किये जाएंगे ।
निम्नलिखित खेल और मनोरंजन सुविधाएं आर.टी.सी. लातुर में उपलब्ध हैः
फुटबॉल, वॉलीबॉल, बॉस्केट बॉल, हैन्ड बॉल, हॉकी, कबड्डी, क्रिकेट, बेडमिंटन, स्विमिंग पूल और टेबल टेनिस ।
टी.वी सहित केबल कनेक्शन, समाचार पत्र, विभिन्न पत्रिकाएं और इन्डोर गेम्स ।
पुस्तकालय में पर्याप्त पुस्तकें और पत्रिकाएं उपवलब्ध है ।
इस संस्थान में सी.पी.सी और वैट कैन्टीन उपलब्ध है जहां से रंगरुट आवश्यक वस्तुओं को उचित मूल्य पर खरीद सकते है ।
12वे सप्ताह में फुट ड्रिल के सफलतापूर्वक उत्तीर्ण हे के बाद लातुर में स्थानीय बाजार पर्यटन स्थलों पर जाने के लिए रविवार और छुट्टियों में रंगरुटों को आउट-पॉस दिया जाता है ।
संस्थान में निम्नलिखित आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध हैः-
मूल प्रशिक्षण के दौरान करुणामूलक आधार के मामले के अलावा किसी भी मामले में अवकाश की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी ।
डिस्चार्ज/सेवा मुक्ति संबंधी औपचारिकताएं संबंधित ग्रुप केन्द्र/विभाग द्वारा की जाएगी । इस आर.टी.सी द्वारा किसी भी रंगरुट को डिस्चार्ज/सेवा मुक्ति नहीं भेजा जाएगा ।
DIGP/PRINCIPAL
RTC, CRPF, LATUR.