सन् 1980 में जून माह के दौरान बङे पैमाने पर त्रिपुरा राज्य में 1,300 आदिवासी और गैर आदिवासीयों के बीच आपसी जातिय दंगे हुए। जिसमे बङे पैमाने पर आगजनी एवं संपत्तियों का नुकसान हुआ तथा बहुत लोग इसके शिकार हुए। राज्य में सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर 1980 के दशक के उत्तरार्ध में त्रिपुरा राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की तैनाती की गई। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ने त्रिपुरा राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कङी मेहनत की है।
तदनुसार, भारत सरकार गृह मंत्रालय के आदेश संख्याः ओ.चार-30/80-स्था(संगठन) केरिपुबल-(एफ-चार) दिनांक 10/12/1980 के तहत पुलिस उप महानिरीक्षक(परिचालन) का पद सृजन किया गया तथा केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल को राज्य में परिचालनिक नियंत्रण कायम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद राज्य मे विद्रोही गतिविधियों में वृद्दि के साथ सेना का विस्तार किया गया तथा भारत सरकार गृह मंत्रालय के आदेश संख्याः ओ.चार-40/97-संगठन-पी.एफ-चार दिनांक 16/12/1997 के तहत त्रिपुरा राज्य मे एक पुलिस महानिरीक्षक(परिचालन) के पद का सृजन किया गया।
नतीजतन राज्य में सामान्य स्थिति कायम होने के बाद भारत सरकार गृह मंत्रालय के आदेश संख्याः ओ.चार-10/2002(संगठन)/एम.एच.ए./पी.एफ-2 दिनांक 14/09/2004 के तहत परिचालनिक सैक्टर को प्रशासनिक सैक्टर मे तब्दील कर दिया गया। वर्तमान मे पुलिस महानिरीक्षक त्रिपुरा सैक्टर के परिचालनिक नियंत्रण में त्रिपुरा और मिजोरम राज्य के अगरतला रेंज, 71 बटालियन, 124 बटालियन, 140 बटालियन और 225 बटालियन सम्मिलित हैं तथा प्रशासनिक नियंत्रण मे अगरतला रेंज, ग्रुप केन्द्र अगरतला तथा वाहिनीयों में 09,24,71,124 और 189 बटालियन शामिल हैं।